रायपुर
हम अपने आस-पास भले ही पुलिस की कड़क छवि देखते हैं लेकिन उनमें भी इंसानियत होती है, उनका दिल भी पसीजता है। एक पुलिस जवान ने दुरस्थ अंचल की एक महिला को उसके सुरक्षित प्रसव हो सके इसके लिए लगभग 3 किलोमीटर कांवर में उठाकर पहाड़ी नाले को पार कराया, लेकिन बीच में ही प्रसवपीड़ा बढ़ जाने के कारण मितानिन की मदद से प्रसव कराना पड़ा। बाद में महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को त्वरित सहायता देने के लिए पुलिस जवान ने जो मानवीय सहायता का उदाहरण प्रस्तुत किया वह सभी के लिए प्रेरणा दायक है।
दरअसल यह कहानी कुछ इस तरह है रायगढ़ जिले में पहाड़ों के बीच बसा एक छोटा सा गांव पारेमेर घुटरूपारा है। यहां बरसात के दिनों में बरसाती नालों के कारण पहुंचना दुश्कर हो जाता है। इस गांव में एक महिला को प्रसव पीड़ा हुई। यह महिला दर्द से कराह रही थी। परिवार सदस्यों ने गर्भवती महिला सुष्मिता को अस्पताल ले जाने डायल 112 को मदद के लिए कॉल किया। मेडिकल इमरजेंसी का कॉल थाना कापू राईनो को प्राप्त हुआ। कालर ने महिला को प्रसव पीड़ा के दर्द होने की जानकारी दी। डायल 112 ड्यूटी में तैनात आरक्षक विपिन किशोर खलखो और ईआरवी वाहन चालक छोटू दास तुरंत रवाना हुए।
गर्भवती महिला का घर नाला और पहाड़ी के उस पार स्थित होने तथा वाहन आवागमन के लिए रास्ता नहीं होने के बावजूद भी आरक्षक और वाहन चालक पैदल ही महिला के घर पहुंचे। गर्भवती महिला की स्थिति को देखकर बिना देरी किये संवेदनशीलता का परिचय दिया और आरक्षक ने कावड़ से प्रसव पीड़ित महिला को वाहन तक ले जाने घरवालों को राजी किया तथा स्वयं एक युवक के साथ कांवर में महिला को उठाकर डायल 112 वाहन तक ले गए।
गर्भवती महिला को कांवर में लेकर जवान करीब 03 किलोमीटर पहाड़ी नाला पार कर डायल 112 के वाहन तक पहुंचा और वाहन में बिठाकर अस्पताल ले जा रहा था, वहीं रास्ते में गर्भवती महिला को अत्यधिक प्रसव पीड़ा होने से जवान ने सूझबूझ का परिचय देते हुए वाहन पेड़ के नीचे खड़ा कराया, जहां मितानिन और महिला के परिजन ने बपर्दा गर्भवती महिला का सुरक्षित प्रसव कराया, जिसे डायल 112 वाहन से तत्काल नजदीकी शासकीय अस्पताल जमरगा में दाखिल किया। जहां जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।