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छत्तीसगढ़ में यूजीसी ने प्राध्यापकों के पदों को शीर्घ भरने के लिए कहा-25 साल से एक भी प्रोफेसर की भर्ती नहीं-यूजीसी रोकेगा फंड

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उच्च शिक्षा में राज्य सरकार की उदासीनता के कारण गुणवत्ता खतरे में है। 25 साल से छत्तीसगढ़ में प्रोफेसर के स्वीकृत पदों पर सीधी भर्ती नहीं हो पाई है। पिछली सरकार का उच्च शिक्षा के प्रति अफसरों का जो नकारात्मक रवैया देखने को मिला, वही वर्तमान सरकार में भी दिख रहा है।ऐसे में प्रदेश की उच्च शिक्षा का स्तर एक बार फिर गर्त में जाते दिख रहा है। यह स्थिति तब है, जब प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में 525 प्रोफेसरों के पद स्वीकृत हैं, आज की स्थिति में छत्तीसगढ़ में एक भी प्रोफेसर के पद नहीं भरे गए हैं। सिर्फ एक ही स्नातकोत्तर प्राचार्य हैं, जबकि 46 स्नातकोत्तर प्राचार्यों के पद खाली हैं। राज्य में सिर्फ सहायक प्राध्यापकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया है, वह भी कोर्ट में लंबित विवाद के कारण फिलहाल धरातल में आते नहीं दिख रहा है। इस तरह की स्थिति के कारण अब केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के निर्देश पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। राज्य के सभी कॉलेजों और विश्चविद्यालयों में रिक्त पदों को भरने के लिए यूजीसी ने स्पष्ट आदेश जारी किया है। किसी भी हालत में छह माह में भर्ती नहीं हुई तो कॉलेजों का अनुदान वापस लेने की कार्रवाई करने की भी चेतावनी है। यूजीसी ने इसके लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं। राजधानी के ही प्रमुख कॉलेजों में डिग्री गर्ल्स कॉलेज, साइंस कॉलेज रायपुर, छत्तीसगढ़ कॉलेज में प्राध्यापक नहीं हैं। इनमें भी ज्यादातर बी अथवा सी ग्रेड के कॉलेज हैं। फंड नहीं मिलने से अब और गुणवत्ता गिरेगी। प्रदेश के युवाओं को डिग्री तो मिलेगी पर गुणवत्तायुक्त शिक्षा नहीं मिल पाएगी।प्रदेश में आठ राजकीय विश्वविद्यालय, एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और आठ निजी विवि स्थापित हैं। इनमें 221 सरकारी और 229 गैर सरकारी कॉलेज हैं। इनमें अभी तक सिर्फ दो राजकीय विवि, एक निजी विवि , 55 सरकारी कॉलेज, सात अनुदान प्राप्त कॉलेज, 26 निजी कॉलेजों का ही नैक से मूल्यांकन हो पाया है। प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में विभिन्न विषयों के प्राध्यापकों के लिए 525 पद स्वीकृत हैं, लेकिन उच्च शिक्षा को उपेक्षा में रखने के कारण पिछले 25 साल से आज तक इन पदों पर एक भी भर्ती नहीं हो पाई है।